वन विभाग ने 50 बिल्डरों को भेजा नोटिस
नोएडा। ओखला पक्षी विहार के दस किलोमीटर के दायरे में निर्माण करवा रहे 50 बिल्डरों को वन विभाग ने नोटिस भेजा है। इनसे 5 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
वनाधिकारी गौतमबुद्ध नगर बी प्रभाकर ने बताया कि ओखला पक्षी विहार से दस किलोमीटर के रेंज में निर्माण कार्य करने से पहले बिल्डरों को वन विभाग से अनुमति लेने का प्रावधान है। पक्षी विहार के चलते यह सेंसटिव जोन में आता है। यहां निर्माण कार्यों से पक्षियों पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनके आवेदन को मुख्य वन जीव प्रतिपालक को भेजा जाएगा। वहां से स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड और वहां से सेंट्रल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाएगा। सेंट्रल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति मिलने के बाद ही काम शुरू कर सकते हैं। अनुमति देने से पहले वाइल्ड लाइफ बोर्ड पर्यावरण की भरपाई को देखते हुए अपने हिसाब से शर्त लगा सकता है।
उन्होंने बताया कि अब तक किसी भी बिल्डर ने इसकी अनुमति नहीं ली है। ऐसी 70 कंपनियों को चिह्नित किया गया है। अब तक 50 को नोटिस भेजा जा चुका है। इनमें सुपरटेक, यूनिटेक, आम्रपाली सहित कई बड़े बिल्डर भी शामिल हैं। शेष को नोटिस शीघ्र भेज दिया जाएगा। नोटिस में इन कंपनियों से जल्द जवाब मांगा गया है। जवाब न मिलने पर वन विभाग में ही मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। यहां तक कि काम रुकवाने का भी प्रावधान है।
नोएडा। ओखला पक्षी विहार के दस किलोमीटर के दायरे में निर्माण करवा रहे 50 बिल्डरों को वन विभाग ने नोटिस भेजा है। इनसे 5 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
वनाधिकारी गौतमबुद्ध नगर बी प्रभाकर ने बताया कि ओखला पक्षी विहार से दस किलोमीटर के रेंज में निर्माण कार्य करने से पहले बिल्डरों को वन विभाग से अनुमति लेने का प्रावधान है। पक्षी विहार के चलते यह सेंसटिव जोन में आता है। यहां निर्माण कार्यों से पक्षियों पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनके आवेदन को मुख्य वन जीव प्रतिपालक को भेजा जाएगा। वहां से स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड और वहां से सेंट्रल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाएगा। सेंट्रल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति मिलने के बाद ही काम शुरू कर सकते हैं। अनुमति देने से पहले वाइल्ड लाइफ बोर्ड पर्यावरण की भरपाई को देखते हुए अपने हिसाब से शर्त लगा सकता है।
उन्होंने बताया कि अब तक किसी भी बिल्डर ने इसकी अनुमति नहीं ली है। ऐसी 70 कंपनियों को चिह्नित किया गया है। अब तक 50 को नोटिस भेजा जा चुका है। इनमें सुपरटेक, यूनिटेक, आम्रपाली सहित कई बड़े बिल्डर भी शामिल हैं। शेष को नोटिस शीघ्र भेज दिया जाएगा। नोटिस में इन कंपनियों से जल्द जवाब मांगा गया है। जवाब न मिलने पर वन विभाग में ही मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। यहां तक कि काम रुकवाने का भी प्रावधान है।